नई टिहरी में 90 वर्षीय बुजुर्ग गजे सिंह श्रीकोटी ने कोरोना संक्रमण को मात देकर संकटकाल में दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य का दिया अनूठा संदेश।

एक ओर जहां कोविड-19 के कहर से आम लोग स्वयं को असुरक्षित मानते हुए भयभीत और तनावग्रस्त हैं वहीं नई टिहरी नगर के 90 वर्षीय बुजुर्ग गजे सिंह श्रीकोटी ने जीवन के लगभग अंतिम पड़ाव में कोरोना संक्रमण को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से न केवल मात दी है बल्कि कोरोना संक्रमितों को अनूठी प्रेरणा भी दी है।

       कोरोना की दूसरी लहर के कारण जहां आम लोगो में इसके संक्रमण को लेकर असुरक्षा और दहशत का माहौल बना है वहीं बुजुर्ग गजे सिंह श्रीकोटी पुत्र स्व० नारायण सिंह श्रीकोटी उर्म 90 वर्ष ,ग्राम पदोखा बासर, हाल निवासी सेक्टर 8D मकान न० 406 बौराडी नई टिहरी , टिहरी गढवाल ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और संयमित जीवनशैली से कोरोना की जंग जीत कर उन लोगो को अनूठा संदेश दिया है जो इस बीमारी के संक्रमण के दौरान दहशत, घबराहट और तनाव से अपने जीवन को संकट में डाल रहे हैं। 90 वर्षीय गजे सिंह श्रीकोटी टिहरी जिले के ग्राम पदोखा बासर के निवासी है और कुछ समय पहले स्वास्थ्य खराब होने पर वे अपने पुत्र देवेंद्र सिंह के साथ बौराड़ी सैक्टर 8D के मकान संख्या 406  में रह रहे थे कि विगत दिनों उनका परिवार कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गया था। आरम्भ में उनके साथ ही सभी परिजनो का उपचार घर पर हुआ, लेकिन स्वास्थ्य अधिक विगड़ने पर उनको कोविड सेंटर नरेंद्रनगर पहुंचाया गया। इस दौरान उनके पुत्र देवेंद्र सिंह ने 12 दिनों तक साथ रहकर उनकी देखभाल की। उनके पुत्र ने बताया कि स्वास्थ्य खराब रहने के दौरान भी बुजुर्ग पिता गजे सिंह विचलित नही हुए और धैर्यपूर्वक संक्रमण से संघर्ष करते रहे। इस दौरान वह अन्य संक्रमितों को भी धैर्य बनाये रखने के लिए प्रेरित करते रहे और आखिर कोरोना को मात देकर अब वह अपने परिजनों के पास लौट आये हैं।

       उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के बाद इसके संभावित जोखिम को लेकर आमलोगों में अत्यधिक तनाव व डर देखा जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार घबराहट, तनाव और डर का स्तर बढ़ने पर कोरोना संक्रमण मरीज पर हावी होने लगता है और डर और घबराहट से आक्सीजन का स्तर कम होता है और कोरोना वायरस का स्तर बढ़ने लगता है। दूसरे शब्दों में यूं कहें कि मरीज की घबराहट ही कोरोना की जीत है। इसलिए जरा भी लक्षण दिखे तो बिना तनाव लिए, बिना घबराएं, बिना देरी किए टेस्ट जरूर कराएं। टेस्ट का रिजल्ट जब तक न आए स्वयं को परिवार से अलग कर आइसोलेट हो जाएं। चिकित्सक द्वारा बताए गए उपचार लेना शुरू कर दें। ऐसी ही सूझबूझ और दृढ़ इच्छाशक्ति से 90 वर्षीय बुजुर्ग ने कोरोना की जंग जीत कर समाज को सकारात्मक संदेश दिया है।

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