School prayer: स्कूल के लिए 20 प्रसिद्ध प्रार्थना, जो बना देंगी विद्यार्थियों का जीवन सफल
इस लेख मे हम भारत के अधिकांश विद्यालयो मे आयोजित होने वाली इन 20 प्रार्थनाओं पर नजर डालेंगे। स्कूलों के लिए प्रर्थना का यह संकलन आपको कैसा लगा, कृपया कमेंट बॉक्स में अपने सुझाव अवश्य कमेंट करें।
1- सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
ॐ सहनाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवाव है।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।
असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
2- माँ सरस्वती वरदान दो
माँ सरस्वती वरदान दो
माँ सरस्वती वरदान दो,
मुझको नवल उत्थान दो।
यह विश्व ही परिवार हो,
सब के लिए सम प्यार हो।
आदर्श, लक्ष्य महान हो।
माँ सरस्वती………………………।
मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,
मेरा महान चरित्र हो।
विद्या विनय वरदान दो।
माँ सरस्वती…………………………।
माँ शारदे हँसासिनी,
वागीश वीणा वादिनी।
मुझको अगम स्वर ज्ञान दो।
माँ सरस्वती, वरदान दो।
मुझको नवल उत्थान दो।
उत्थान दो।
उत्थान दो…।
3- ‘हे शारदे माँ’
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ..
तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे
हम है अकेले, हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
विद्या का हमको, अधिकार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
तू श्वेतवर्णी, कमल पे विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे
मन से हमारे मिटाके अँधेरे
हमको उजालों का संसार दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
4- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी – सरस्वती वंदना
हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
जग सिरमौर बनाएँ भारत,
वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥
हे हंसवाहिनी…..
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
साहस शील हृदय में भर दे,
जीवन त्याग-तपोमर कर दे,
संयम सत्य स्नेह का वर दे,
स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥१॥
हे हंसवाहिनी ….
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम
मानवता का त्रास हरें हम,
सीता, सावित्री, दुर्गा मां,
फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥२॥
हे हंसवाहिनी……
अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥
5- तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
तुम ही बंधू , सखा तुम्ही हो
तुम्ही हो साथी तुम ही सहारे
कोई न अपना सिवाए तुम्हारे
तुम्ही हो नैया तुम्ही खिवैया
तुम ही हो बंधू सखा तुम्ही हो …
जो खिल सके न वो फूल हम हैं
तुम्हारे चरणों की धुल हम हैं
दया की दृष्टि सदा ही रखना
तुम ही हो बंधू सखा तुम ही हो…
6- दया कर दान भक्ति
ॐ असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना ।
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ,
अँधेरे दिल में आकर के परम ज्योति जगा देना ।
बहा दो प्रेम की गंगा, दिलों में प्रेम का सागर,
हमे आपस में मिलजुल के प्रभु रहना सीखा देना ।
हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा, वो सेवक चर बना देना ।
वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना,
वतन पे जा फ़िदा करना, प्रभु हमको सीखा देना ।
दया कर दान विद्या का हमे परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना ।
ॐ सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
सभी विद्यालयों के लिए- क्या है हमारी राष्ट्रीय प्रतिज्ञा का इतिहास और कौन है इसका लेखक? यहां पढ़ें राष्ट्रीय प्रतिज्ञा हिंदी, English और संस्कृत में-7- ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम…
ये अँधेरा घना छा रहा तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रौशनी में जो दम
तू अमावास को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम,
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…
जब जुल्मों का हो सामना तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करे हम भलाई भरें
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम और मिटे बैर का ये भरम
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम…
बड़ा कमज़ोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी
पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा
तेरी किरपा से धरती थमी
दिया तूने हमे जब जनम
तू ही झेलेगा हम सबके ग़म
नेकी पर चलें और बदी से टलें
ताकि हंसते हुए निकले दम
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम..
8- मारी मुट्ठी में आकाश सारा
हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा।
कभी न ढले जो, वो ही सितारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ।
हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी
किसने लिखी हैं, नहीं जानना है।
सुलझाने उनको, ना आएगा कोई, समझना है
उनको ये अपना करम है ।
अपने करम से दिखाना है सबको
खुदका पनपना, उभरना है खुदको।
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा
हमारे पीछे कोई आए ना आए !
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है।
जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है।
जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें
अगर ना कोई साध दे तो अकेले।
सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा।
9- इतनी शक्ति हमे देना दाता
इतनी शक्ति हमें देगा दाता
मन का विश्वास, कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना।
दूर अज्ञान के हों अँधेरे,
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे।
हर बुराई से बचते रहें हम,
चोट जितनी बड़ी जिन्दगी दे॥
बैर हो न किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥
हम न सोचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटे सभी में,
सबका जीवन भी बन जाये मथुबन।
अपनी करुणा का जल तू बहा दे,
करदे पावन हर एक मन का कोना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥
10- ए मालिक तेरे बंदे हम
ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों! हमारे करमा
नेकी पर चलें और बदी से ढले,
ताकि हँसते हुए निकले दम
ऐ मालिक…………
ये अँधेरा घना छा रहा
तेरा इंसान घबरा रहा।
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नजर
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से ढले
वाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ………
जब जुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना।
वो बुराई करें हम भलाई करें
नहीं बदलेगी ये भावना।
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम।
नेकी पर चलें और बदी से ढले
गाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ………
11- दयालु नाम है तेरा
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ।
हरि सब तुमको कहते हैं हमारा दुःख हर लीजे ॥
दयालु…
विषय और भोग में निशिदिन फँसा रहता है मन मूरख ।
इसे अब ज्ञान देकर सत्य मारग पर लगा दीजे ॥
दयालु…
तुम्हारी भूल कर महिमा, किए अपराध अति भारी |
शरण अज्ञान है तेरे, क्षमा अपराध सब कीजे ॥
दयालु…
तुम्हीं माता-पिता जग के, तुम्हीं हो नाथ धन विद्या ।
तुम्हीं हो मित्र सब जग के, दयाकर भक्तिवर दीजे ॥
दयालु…
न चाहूँ राज-धन-वैभव न है कुछ कामना मेरी ।
रख सकूँ शुद्ध सेवाभाव, शुभ वरदान ये दीजे ॥
दयालु…
12- वीणा वादिनि विमल वाणी दे
वीणा वादिनि विमल वाणी दे
वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी
ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा
ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन।
जय विद्या दायिनि वन्दन
नत मस्तक हम माँग रहे, विद्या धन कल्याणी
वरद हस्त रख हम पर जननी रहे न जग में क्रन्दन
जय विद्या दायिनि वन्दन
13- हम को मन की शक्ति देना
हम को मन की शक्ति देगा, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें।
भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो माफ कर सकें
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें॥
मुश्किलें पड़ें तो हम पे इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का, मरें तो धर्म पर
खुद पे हौसला रहे बदी से न डरे
दूसरों की जय से पहले छुद को जय करें।
14- हर देश में तू, हर भेष में तू
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके ।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया ।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।
तुकड़या कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
15- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
16- हे जग त्राता विश्व विधाता
*त्राता: का अर्थ, वह जो त्राण करता हो, रक्षा करने वाला व्यक्ति।
कुछ जगहों पर त्राता की जगह दाता प्रयोग में लाया गया है।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे।
प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु,
दु:ख दारिद्र विनाशन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
नित्य अखंड अनंन्त अनादि,
पूरण ब्रह्म सनातन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन,
अनुपम अलख निरंजन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक,
जीवन के अवलंबन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे सुख शांति निकेतन हे,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
17- सुख के सब साथी
सुख के सब साधी, दुःख में न कोई
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई ।
१.जीवन आनी-जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया
पाप की गठरी ढोए
२.ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा
ये जय-जोगी-वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का
अंत एक सा होए।
३.बाहर की तू माटी फांके
मन के भीतर क्यों ना झाँके
उजले तन पर मान किया
और मन की मैल ना धोई।
अत्यंत ही सराहनीय और उत्कृष्ट कार्य
ReplyDeleteयदि आप सभी प्रार्थना की बेहतरीन संगीतमय प्रस्तुति को भी ऑडियो क्लिप में उपलब्ध करवा सकें तो अति उत्तम रहेगा
हमारा व्हाट्सएप नंबर है 96754 43536
शानदार सुनने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाइयां शुभकामनाएं साधुवाद मां शारदे का आशीष सदैव बना रहे
बहुत ही सुन्दर सत्कर्म किया है आपने बहुत बहुत बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं हमेशा खुश रहे स्वस्थ मस्त आनंदित प्रफुल्लित रहें शुभकामनाएं
ReplyDeleteसर मैं पी एस मथुरिया प्रधानाचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती पब्लिक स्कूल कोटेश्वर पुरम टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड जो टीएचडीसी सेवा द्वारा संचालित है मे लगातार अपडेट हो आपसे संगीत सहित प्रार्थनाएं चाह रहा था कृपया उपलब्ध करा दे तो बहुत कृपा होगी यही आपसे निवेदन है।
ReplyDeleteमेरा 9634404542 what's app number है
https://youtu.be/YgYXTM6cNoc
Deleteबच्चे हैं हम तेरे हमें दो विद्या का दान |
ReplyDeleteनमो नमो मां सरस्वती दूर करो अज्ञान ||
1.
सब जीवों से प्रीत करें मां ऐसा भाव जगाओ,
महापुरुषों की राह पर सदा हमको आप चलाओ|
साक्षाद् आपकी मूर्ति सब गुरुओं को प्रणाम
नमो नमो मां सरस्वती......
2.
वसुधा हो ये कुटुंब हमारा मन में नेक विचार,
सत्य अहिंसा त्याग दया गुण अपनाएं सदाचार |
फले फूले जिस की रज में वो देश हो मेरा महान
नमो नमो मां सरस्वती.....
3.
सभी देवता गान करें तेरी महिमा अपरम्पार,
तमसो मा ज्योतिर्गमय वंदन वारम्वार
दया हो मां जब तेरी बने मूर्ख भी विद्वान्
नमो नमो मां सरस्वती दूर करो अज्ञान
रचयिता :- जय भगवान शास्त्री, कैथल ( हरियाणा )
JAIBHAGWAN1746@GMAIL.COM
संपर्क सूत्र - 9991829095
यूट्यूब लिंक:- https://youtu.be/YgYXTM6cNoc
कृपया इस प्रार्थना को अपने पेज पर भी प्रकाशित करें। धन्यवाद
शानदार प्रार्थना
ReplyDeleteSards prats
DeleteTu hi ram hai tu raheem hai bhi isme daliye kripya wo ek achi prarthna hai
ReplyDeleteओम प्रकाश जोशी
ReplyDeleteगायत्री मंत्र
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना मैने पहली बार पढ़ी है
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय प्रयास
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय प्रयास
ReplyDeleteAll prayers at one place..v.good..thanks
ReplyDelete