Uttarakhand PM SHRI Schools: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एडवाइजरी और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भारी भरकम निवेश के बावजूद भी क्यों हो रहा है PM SHRI School शिक्षकों का अनिवार्य स्थानांतरण? ऐसे में कैसे लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे उत्तराखंड के PM SHRI Schools

   राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी NEP 2020 को प्रभावी आकार देने के लिए गत वर्ष अस्तित्व में आए उत्तराखंड के  के प्रधानाचार्य और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जहां भारी भरकम निवेश किया गया है वहीं इन शिक्षकों को अनिवार्य स्थानांतरण में भी सूचीबद्ध किया गया है। प्रशिक्षण के बाद स्थानांतरण से इन विद्यालयों की प्रगति बाधित होनी स्वाभाविक है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पहले ही राज्यों को इन विद्यालयों में कार्यरात शिक्षकों के स्थानांतरण से बचने की एडवाइजरी जारी कर चुका है। उधर दूसरी ओर देशभर में स्मार्ट स्कूल के रूप में पहचान बनाने वाले PM Schools की नियमावली में भी स्पष्ट प्रवधान किया गया है कि इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को अन्यत्र ट्रांसफर न किया जाए। बावजूद इसके अभी तक विद्यालयी शिक्षा विभाग की इस पर स्थिति साफ नहीं की है।
 उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा विभाग में इन दिनों शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। बरसों से एक ही विद्यालय में जमे शिक्षक जहां अपने इच्छित स्थानो पर ट्रांसफर लेने के लिए सुगम और दुर्गम की सेवाओं का हिसाब लगा रहे हैं वही सैकड़ो शिक्षक अनिवार्य स्थानांतरण की जद में आ रहे हैं। विभाग में जहां बड़ी संख्या में शिक्षक कोटीकरण को लेकर संतुष्ट नहीं हो पा रहे है वहीं सामान्य विद्यालयों के साथ ही अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेजो में कोटीकरण के अलग मानकों से भी अजीब हालात पैदा हो रहे हैं। अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में कोटीकरण की दोहरी व्यवस्था को लेकर भी शिक्षकों में भारी आक्रोश पनप रहा है। इन विद्यालय में कुछ शिक्षकों को सुगम, जबकि कुछ को दुर्गम की सेवा का लाभ दिया जा रहा है।
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    गत वर्ष से वजूद में आए PM Schools पीएम श्री स्कूलों के शिक्षकों को भी अनिवार्य स्थानांतरण में सूचीबद्ध किया गया है। जबकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरण न करने की सिफारिश की है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई पीएम श्री विद्यालयों की नियमावली में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है कि इन विद्यालयों के शिक्षकों का अपरिहार्य स्थिति में ही स्थानांतरण किया जाए। देशभर में इन विद्यालयों को स्मार्ट शिक्षा देने वाले विद्यालयों के रूप में विकसित किया जा रहा है। अन्य विद्यालयों की तुलना में इन विद्यालय में अच्छे खासे बजट का प्रावधान किया गया है। 5 वर्ष की प्लानिंग के लिए इस योजना से आच्छादित प्रत्येक विद्यालय के लिए 6 करोड रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। इसमें विद्यालय के तमाम भौतिक और शैक्षिक संसाधनों के साथ ही प्रधानाचार्य और शिक्षकों का क्षमता संवर्धन सहित अनेक विषयों पर प्रशिक्षण भी शामिल है।
   उत्तराखंड के अधिकतर जनपदों के PM Schools पीएम श्री स्कूलों के प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य और शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान DIETs को के माध्यम से प्रशिक्षण भी हो चुके है। इन प्रशिक्षणों पर भारी भरकम निवेश किया जा चुका है। जबकि दूसरी और इन्हीं शिक्षकों को अनिवार्य स्थानांतरण की सूची में भी शामिल किया गया है। सोचने वाली बात है कि यदि इन शिक्षकों को अनिवार्य स्थानांतरण ही दिया जाना था तो पीएम श्री स्कूल शिक्षकों के रूप में क्षमता संवर्धन के लिए इनके प्रशिक्षण पर यह निवेश क्यों किया गया? संभवत इस ओर अभी तक विभाग का ध्यान गया ही नहीं है। गौर करने वाली बात यह भी है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देश के सभी राज्यों से इन विद्यालयों के शिक्षकों के ट्रांसफर से बचने की एडवाइजरी पहले ही जारी कर चुका है। जानकारों का कहना है इन विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य स्थानांतरण से मुक्त रखना चाहिए ताकि इन विद्यालयों के लिए निर्धारित लक्ष्य समयांतर्गत पूरे हो सकें।
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