विभाग ने राजकीय जूनियर-प्राथमिक शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों और मिनिस्ट्रियल कार्मिकों को सौंपी मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति परीक्षा की कमान, क्या प्रधानाचायों का प्रभार भी इन्हें सौंपेगा विभाग? यहां पढ़ें यह स्पेशल रिपोर्ट।

आलेख- सुशील डोभाल 
राज्य शैक्षिक अनुसांधन एवं प्रशिक्षण परिषद्, SCERT उत्तराखण्ड के द्वारा मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन छात्रवृत्ति परीक्षा 2025 का आयोजन दिनांक 16 सितंबर को राज्य के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर किया जाएगा। विभागीय स्तर पर इस परीक्षा के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। खास बात यह है कि इस बार राजकीय शिक्षक संघ के आंदोलन और शिक्षण कार्यों को छोड़कर अन्य कार्यों के बहिष्कार को ध्यान में रखते हुए विभाग ने इस प्रवेश परीक्षा से राजकीय माध्यमिक शिक्षकों को अलग रखते हुए जूनियर प्राथमिक शिक्षकौ और अतिथि शिक्षकों के साथ ही मिनिस्टीरियल कर्मचारियों को परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है।
  राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड के आवाहन पर प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा का विरोध और पदोन्नति सहित अनेक लंबित मांगों का निराकरण न होने के कारण राज्य के सभी शिक्षक आंदोलनरत हैं। शिक्षक संघ के प्रांतीय कार्यकारिणी के आवाहन पर शिक्षक इन दोनों केवल शैक्षिक कार्य कर रहे हैं जबकी गैर शैक्षणिक कार्यों के बहिष्कार के साथ ही सभी विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यों ने प्रभार भी छोड़ दिया है। यह छात्रवृत्ति परीक्षा पहले से ही 16 सितंबर को निर्धारित थी। किंतु राजकीय शिक्षकों के कार्य बहिष्कार की घोषणा के साथ परीक्षा आयोजित करवाना विभाग के लिए टेडी खीर बन गया था। 
   शिक्षकों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए परीक्षा की तिथि पीछे  खिसकने की संभावना थी, किंतु विभाग ने इस परीक्षा को निर्धारित तिथि पर ही प्राथमिक जूनियर शिक्षकों, अतिथि शिक्षकों और मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों से संपन्न करवाने का निर्णय लेकर अनिश्चितता की स्थिति को विराम दिया है। विभाग द्वारा केंद्र व्यवस्थापक से लेकर कक्ष निरीक्षकों तक का कार्य राजकीय प्राथमिक और जूनियर शिक्षकों के साथ ही मिनिस्ट्रियल कार्मिकों को सोपा गया है। उधर राजकीय शिक्षक संघ की पदाधिकारियो का कहना है की विभागीय अधिकारियों की राजकीय शिक्षक संघ के आंदोलन तोड़ने की यह रणनीति कामयाब नहीं होगी। 
    जानकारों का मानना है कि शासन और विभाग के इस निर्णय से राजकीय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों के अतिथि शिक्षक संघ के साथ ही प्राथमिक जूनियर शिक्षक संगठनों और मिनिस्ट्रियल संघ से जहां मतभेद बढ़ेंगे वहीं भविष्य में इन संगठनों के आंदोलनरत होने पर राजकीय शिक्षक संघ का सहयोग और समर्थन नहीं मिल पाएगा।
 राजकीय शिक्षक संघ के आंदोलन के चलते राज्य के सभी प्रधानाचार्य विहीन विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्य अपना प्रभार छोड़ चुके हैं। ऐसी स्थिति में मिनिस्ट्रियल संघ ने भी प्रधानाचार्य का प्रभार लेने से इनकार कर दिया है। अब देखना यह होगा कि विभाग प्रधानाचार्यों का प्रभार किसे सौंपता है?

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