स्कूलों में छात्र-छात्राओं से गैर-शैक्षिक कार्य करवाने पर सख्त हुआ शिक्षा विभाग, शिक्षकों के लिए जारी किए यह निर्देश
विद्यालयी शिक्षा महानिदेशालय, उत्तराखण्ड ने राज्यभर के सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को कड़े निर्देश जारी किए हैं कि वे किसी भी छात्र या छात्रा से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य न करवाएं। उन्होंने सभी शिक्षा अधिकारियों को चेतावनी दी है कि आगे से यदि किसी विद्यालय में छात्र-छात्राओं से शिक्षण कार्य के अतिरिक्त कोई गैर-शैक्षिक कार्य करवाया गया तो संबंधित प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक या शिक्षक के विरुद्ध सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
महानिदेशक दीप्ति सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के अंतर्गत बाल मजदूरी पर प्रतिबंध और अनुच्छेद 21(A) के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है। इसके साथ ही, निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 और उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना (दिनांक 10 मई 2011) में भी बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
महानिदेशक ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया है कि कुछ जनपदों, विशेष रूप से चमोली और देहरादून में, छात्रों से शिक्षण कार्य से इतर कार्य करवाने की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। जांच के बाद संबंधित शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की गई है।
महानिदेशक ने स्पष्ट किया कि केवल राष्ट्रीय कार्यक्रमों, भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत सामूहिक कार्यक्रमों, तथा पाठ्य सहगामी गतिविधियों (Co-curricular Activities) के अतिरिक्त किसी भी प्रकार का कार्य छात्रों से करवाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।
यह आदेश राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों, जिला शिक्षा अधिकारियों, खंड शिक्षा अधिकारियों और प्रशिक्षण संस्थानों को भेजा गया है, ताकि निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

शिक्षकों से भी गैर-शैक्षिक कार्य नहीं करवाए जाने चाहिए। बच्चों को अपने लिए ऐसा रास्ता स्वयं बनाना चाहिए, जिस पर वे न फिसलें — क्योंकि सरकार उनके लिए हर कदम पर रास्ता नहीं बना सकती। सरकार का ध्यान
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